लेबनान में मोबाइल का कैमरा खोलते ही खौफ से क्यों भर जाते हैं लोग, पढ़िए रिपोर्टर की डायरी


बेरूत (लेबनान):

Israel-Hezbollah conflict: पश्चिम एशिया में इजरायल (Israel) ने कई मोर्चे खोल रखे हैं और उनमें से उसका एक मोर्चा लेबनान (Lebanon) में हिजबुल्लाह के खिलाफ खुला हुआ है. लेबनान की राजधानी बेरूत पर लेबनान के हमले जारी हैं. हिजबुल्लाह के कई ठिकानों पर देर रात में यह हमले किए गए. पिछले 20 दिनों से यह हमले हो रहे हैं. रात में होने वाले हमलों से आसपास चंद सेकेंड के लिए उजाला छा जाता है और फिर अंधेरा हो जाता है…सुबह पता चलता है कि कितना नुकसान हुआ. बेरूत में हमारे साथी NDTV के रिपोर्टर मोहम्मद गजाली मौजूद हैं. वे खतरों के बीच इजरायल-हिजबुल्लाह की जंग से जुड़ी घटनाओं को कवर कर रहे हैं. 

मोहम्मद गजाली ने बुधवार को बेरूत से एक ऑडियो मैसेज के जरिए वहां उनको मिल रहे अनुभवों की दास्तान ndtv.in के साथ साझा की है. इसमें उन्होंने लेबनान की राजधानी में मौजूदा हालात, वहां के आम लोगों की मन:स्थिति के बारे में जानकारी दी है. इसके अलावा उन्होंने युद्धग्रस्त इलाके में रिपोर्टिंग में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया है.

बेरूत से ग्राउंड रिपोर्ट        

लेबनान के बेरूत शहर के दक्षिणी इलाके पर इजरायल के हमले हो रहे हैं. दक्षिणी हिस्से में टायर और सिडॉन जैसे इलाके समुद्र से सटे हुए हैं और इजरायल से भी सटे हुए हैं. इजरायली सेना वहां से हमले कर रही है. अब उसने धमकी दी है कि वह समुद्र के रास्ते, यानी मेडिटेरियन सी के रास्ते से हमले करेगी. हम आज इस समुद्र तटीय इलाके में गए.     

आसमान में मंडराते इजरायली ड्रोन

बेरूत शहर में तनाव है, हालांकि शहर में फिलहाल कोई ताजा बड़ा हमला नहीं हुआ है. पिछले तीन हफ्तों में एक-दो अटैक ही हुए हैं. जो इलाके इजरायल के करीब हैं, यानी दक्षिणी लेबनान और उत्तरी इजरायल का जो बॉर्डर का इलाका है, वहां पर हमले हो रहे हैं. हवाई हमले हो रहे हैं और जमीनी स्तर पर भी इजरायल की सेना हिजबुल्लाह के फाइटर्स से लड़ रही है. 

हम आज दो-तीन जगह गए थे. सिडॉन और टायर की तरफ सफारंद एक इलाका है, वहां भी गए थे. वहां लोग एक जगह इकट्ठे हों, यदि हम उनको दिखाना चाहें तो फिल्म रिकॉर्ड करने के लिए इजाजत लेनी पड़ती है. हालांकि इजाजत लेने के बाद भी लोग मना कर रहे हैं कि रिकॉर्ड न करें. जब भीड़ इकट्ठी हो जाती है तो हिदायत दी जाती है कि इजरायली ड्रोन लगातार आसमान में हैं, तो वे भीड़ को देखकर हमला भी कर सकते हैं. 

NDTV के रिपोर्टर मोहम्मद गजाली बेरूत में हैं.

आप इजरायल के जासूसी तो नहीं?

खतरा बहुत ज्यादा है और आप कहीं भी बहुत सुकून से नहीं घूम सकते हैं. खास तौर पर आप मोबाइल लेकर यहां शूट नहीं कर सकते हैं. कैमरा होना जरूरी है. मोबाइल लेकर घूमने से आरोप लगता है या ऐसी छवि बनती है कि आप इजरायल के लिए जासूसी तो नहीं कर रहे हैं. जहां भी हमला हुआ वहां आप बतौर रिपोर्टर जा रहे हैं, यदि आप मोबाइल फोन निकाल लेते हैं तो लोगों को लगता है कि आप यहां की तबाही की तस्वीरें इजरायल के साथ शेयर कर रहे हैं और फिर वह मीडिया में आ जाता है. 

यहां बहुत ज्यादा सख्ती है. कहां रिकॉर्ड कर सकते हैं, कहां नहीं कर सकते…इन कारणों से यहां रिपोर्टिंग बहुत कठिन है. खास तौर पर आपको लोगों का विश्वास जीतना पड़ता है. 

इजरायल का अस्तित्व अस्वीकार्य

इजरायल के अस्तित्व को यहां के लोग इसलिए नहीं मानते हैं क्योंकि सबको पता है कि इतिहास में वह फिलिस्तीन था, वहां पर यहूदियों को लाकर बसाया गया. फिर उस क्षेत्र को इजरायल नाम दिया गया. उसको लेकर लोगों में ज्यादा गुस्सा है क्योंकि लेबनान में शुरू से फिलिस्तीनी शरणार्थी आकर बसे हैं. यहां की अपनी आंतरिक राजनीति भी है.

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